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विवाह के बाद दंपति को
संतान प्राप्ति की प्रबल इच्छा होती है। आज जब लडकियां भी पढ लिखकर
काफी
उन्नति कर रही हैं तो भी अधिकतर दंपतियों की दबे छुपे मन में पुत्र
संतान
ही प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। यों तो संतान योग जातक की
जन्मकुंडली
में जैसा भी विद्यमान हो उस अनुसार प्राप्त हो ही जाता है फ़िर
भी
कुछ प्रयासों से मनचाही संतान प्राप्त की जा सकती है. यानि प्रयत्नपूर्वक कर्म
करने से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है.
अपनी
इच्छानुसार संतान प्राप्त करने के उपाय.....

विवाह के बाद दंपति को
संतान प्राप्ति की प्रबल इच्छा होती है। आज जब लडकियां भी पढ लिखकर
काफी
उन्नति कर रही हैं तो भी अधिकतर दंपतियों की दबे छुपे मन में पुत्र
संतान
ही प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। यों तो संतान योग जातक की
जन्मकुंडली
में जैसा भी विद्यमान हो उस अनुसार प्राप्त हो ही जाता है फ़िर
भी
कुछ प्रयासों से मनचाही संतान प्राप्त की जा सकती है. यानि प्रयत्नपूर्वक कर्म
करने से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है.
योग्य पुत्र प्राप्त
करने के इच्छुक दंपति अगर निम्न नियमों का पालन करें तो अवश्य ही उत्तम
पुत्र प्राप्त होगा। स्त्री को हमेशा पुरुष के बांई तरफ़ सोना चाहिए। कुछ
देर बांयी करवट लेटने से दायां स्वर और दाहिनी करवट लेटने से बांया स्वर
चालू हो जाता है. इस स्थिति में जब पुरूष का दांया स्वर चलने लगे और
स्त्री का बांया स्वर चलने लगे तब संभोग करना चाहिये. इस स्थिति में अगर
गर्भादान हो गया तो अवश्य ही पुत्र उत्पन्न होगा. स्वर की जांच के लिये नथुनों
पर अंगुली रखकर ज्ञात किया जा सकता है.
योग्य कन्या संतान की प्राप्ति
के लिये स्त्री को हमेशा पुरूष के दाहिनी और सोना चाहिये. इस स्थिति मे
स्त्री का दाहिना स्वर चलने लगेगा और स्त्री के बायीं तरफ़ लेटे पुरूष का
बांया स्वर चलने लगेगा. इस स्थिति में अगर गर्भादान होता है तो निश्चित ही
सुयोग्य और गुणवती कन्या संतान प्राप्त होगी

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