Sunday 23 February 2014

cracked heel

फटी एड़ियो का उपचार:

शरीर में उष्णता या खुश्की बढ़ जाने, नंगे पैर चलने-फिरने, खून की कमी, तेज ठंड के प्रभाव से तथा धूल-मिट्टी से पैर की एड़ियां फट जाती हैं।

यदि इनकी देखभाल न की जाए तो ये ज्यादा फट जाती हैं और इनसे खून आने लगता है, ये बहुत दर्द करती हैं। एक कहावत शायद इसलिए प्रसिद्ध है-
जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई।

घरेलू इलाज

* अमचूर का तेल 50 ग्राम, मोम 20 ग्राम, सत्यानाशी के बीजों का पावडर 10 ग्राम और शुद्ध घी 25 ग्राम। सबको मिलाकर एक जान कर लें और शीशी में भर लें। सोते समय पैरों को धोकर साफ कर लें और पोंछकर यह दवा बिवाई में भर दें और ऊपर से मोजे पहनकर सो जाएं। कुछ दिनों में बिवाई दूर हो जाएगी, तलवों की त्वचा साफ, चिकनी व साफ हो जाएगी।

* त्रिफला चूर्ण को खाने के तेल में तलकर मल्हम जैसा गाढ़ा कर लें। इसे सोते समय बिवाइयों में लगाने से थोड़े ही दिनों में बिवाइयां दूर हो जाती हैं।

चावल को पीसकर नारियल में छेद करके भर दें और छेद बन्द करके रख दें। 10-15 दिन में चावल सड़ जाएगा, तब निकालकर चावल को पीसकर बिवाइयों में रोज रात को भर दिया करें। इस प्रयोग से भी बिवाइयां ठीक हो जाती हैं।

* गुड़, गुग्गल, राल, सेंधा नमक, शहद, सरसों, मुलहटी व घी सब 10-10 ग्राम लें। घी व शहद को छोड़ सब द्रव्यों को कूटकर महीन चूर्ण कर लें, घी व शहद मिलाकर मल्हम बना लें। इस मल्हम को रोज रात को बिवाइयों पर लगाने से ये कुछ ही दिन में ठीक हो जाती हैं।

* रात को सोते समय चित्त लेट जाएं, हाथ की अंगुली लगभग डेढ़ इंच सरसों के तेल में भिगोकर नाभि में लगाकर 2-3 मिनट तक रगड़ते हुए मालिश करें और तेल को सुखा दें। जब तक तेल नाभि में जज्ब न हो जाए, रगड़ते रहें। यह प्रयोग सिर्फ एक सप्ताह करने पर बिवाइयां ठीक हो जाती हैं और एड़ियां साफ, चिकनी व मुलायम हो जाती हैं। एड़ी पर कुछ भी लगाने की जरूरत नहीं।

Thursday 20 February 2014

mint

पुदीने के यह गुण

मुंहासे दूर करने के लिए पुदीने की कुछ पत्तियां लेकर पीस लें। अब उसमें 2-3 बूंदे नींबू का रस डालकर इसे चेहरे पर कुछ देर के लिए लगाएं।
पुदीने को सूखाकर पीस लें। अब इसे कपड़े से छानकर बारीक पाउडर बनाकर एक शीशे में रख लें। सुबह-शाम एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ लें। यह फेफड़ों में जमे हुए कफ के कारण होने वाली खांसी और दमा की समस्या को दूर करता है। बिच्छू या बर्रे के दंश स्थान पर पुदीने का अर्क लगाने से यह विष को खींच लेता है और दर्द को भी शांत करता है।

इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। यह पेट के विकारों में काफी फायदेमंद होता है। पुदीना के कई फायदे हैं। एक गिलास पानी में 8-10 पुदीने की पत्तियां, थोड़ी-सी काली मिर्च और जरा सा काला नमक डालकर उबालें। 5-7 मिनट उबालने के बाद पानी को छान लें। फिर इसे पीने के बाद यह खांसी, जुकाम और बुखार से काफी राहत पहुंचाता है। यदि हाजमा खराब हो तो एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़ें, उसमें थोड़ा-सा काला नमक डालें और पुदीने की 8-10 पत्तियां पीसकर मिलाएं। अब पीड़ित व्यक्ति को इसे पिलाएं, तुरंत लाभ मिलेगा।
डे पानी से धो लें। कुछ दिन ऐसा करने से मुंहासे तो ठीक हो ही जाएंगे, चेहरे पर चमक भी आ जाएगी। पुदीने को सूखाकर पीस लें। अब इसे कपड़े से छानकर बारीक पाउडर बनाकर एक शीशे में रख लें। सुबह-शाम एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ लें। यह फेफड़ों में जमे हुए कफ के कारण होने वाली खांसी और दमा की समस्या को दूर करता है। अगर नमक के पानी के साथ पुदीने के रस को मिलाकर कुल्ला करें तो गले की खराश और आवाज में भारीपन दूर हो जाते हैं। यही नहीं आवाज साफ हो जाती है और गले में काफी आराम मिलता है।


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