Wednesday 25 February 2015

Homeopathy Medicine



होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति (Homeopathy Medicine)

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की खोज 1806 में सेम्युअल हेनीमैन नाम के वैज्ञानिक ने की थी| इस पद्धति के मुख्य सिद्धांत के अंतर्गत यह उल्लेख है कि प्रत्येक पदार्थ की न्यून मात्रा उत्प्रेरण (Catalysis), सामान्य मात्रा अवरोधन तथा पदार्थ की अधिक मात्रा हनन का कार्य करती है| कुछ ही वर्ष पहले विषाक्त वस्तुओं के अध्ययन के लिए होम्योपैथी को विशेष स्थान प्राप्त हुआ हैहोम्योपैथी चिकित्सा में रोगी के साथ वार्तालाप करके रोग की पहचान की जाती है| इस चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक पदार्थों जैसे सामान्य वनस्पति एवं  बीज, सामान्य धातु एवं उनके लवण द्वारा औषधियों की प्राप्ति की जाती है| इन औषधियों में किसी प्रकार के कुप्रभाव नहीं पाए जाते हैं| होम्योपैथी दवाओं का इस्तेमाल बिना डरे किया जा सकता है, क्योंकि होम्योपैथी दवाओं से शरीर को कोई नुक्सान नहीं पहुंचता| होम्योपैथी दवाओं का इस्तेमाल हर कोई इंसान कर सकता हैहोम्योपैथी में इस्तेमाल होने वाली सभी औषधियां मदर टिंक्चर नामक अल्कोहल के घोल में घुलनशील हैं| इन औषधियों का तनुकरण (Dilution) तब तक किया जाता है जब तक कि सौ इकाई घोल में उनकी मात्रा एक बूंद नहीं हो जाए| होम्योपैथी में सामान्य औषधि के प्रभाव को 6C तथा 30C के रूप में व्यक्त किया जाता है| बहुत सी पुरानी बीमारियों में होम्योपैथी ने सफलता प्राप्त की हैआज होम्योपैथी तेजी से बढ़ती प्रणाली बन गयी है और लगभग पूरी दुनिया में इसका अभ्यास किया जा रहा है।

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