Wednesday 11 March 2015

STERILITY



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बांझपन- (STERILITY)

परिचय : संतानोत्त्पत्ति क्षमता न होने या गर्भ न ठहरने पाने की स्थिति को बन्ध्यापन कहते हैं। पुरुषों के शुक्र दोष और स्त्रियों के रजोदोष के कारण ही ऐसा होता है। अत: बंध्यापन चिकित्सा में पुरुषों के वीर्य में वीर्य कीटों को स्वस्थ करने, वीर्य को शुद्ध करने की व्यवस्था करें और स्त्रियों को रजोदोष से मुक्ति करें। इससे संतान की प्राप्ति होगी।
          बंध्या दोष दो प्रकार का होता है। पहला प्राकृतिक जो जन्म से ही होता है। दूसरा जो किन्ही कारणों से हो जाता है। इसमें पहले प्रकार के बांझपन की औषधि नहीं है। दूसरे प्रकार के बांझपन की औषधियां हैं। जिनके सेवन से बांझपन दूर हो जाता है।
          बांझपन का लक्षण गर्भ का धारण नहीं करना होता है। स्त्रियों में जब बच्चा पैदा करने की ताकत ना रह पाने के कारण वो मां नहीं बन पाती तो इसे ही बांझपन का रोग कहा जाता है। स्त्रियों में गर्भाशय तथा डिम्बकोश में किसी तरह के रोग होने के कारण से भी यह रोग हो जाता है।
गर्भाशय पर मांस का बढ़ जाना, गर्भाशय में कीड़े पड़ जाना, किसी भी प्रकार का योनि रोग, मासिक-धर्म का बंद हो जाना, प्रदर, गर्भाशय में हवा का भर जाना, गर्भाशय का वायु वेग से ठंडा हो जाना, गर्भाशय का उलट जाना अथवा जल जाना आदि कारणों से स्त्रियों में गर्भ नहीं ठहरता है। इन दोषों के अतिरिक्त कुछ स्त्रियां जन्मजात वन्ध्या (बांझ) भी होती है। जिन स्त्रियों के बच्चे होकर मर जाते हैं। उन्हें ``मृतवत्सा वन्ध्या`` तथा जिनके केवल एक ही संतान होकर फिर नहीं होती है तो उन्हें `काक वन्ध्या` कहते हैं।
विभिन्न औषधियों से बांझपन चिकित्सा -
बोरैक्स- स्त्रियों के गर्भाशय में श्लैष्मिक-झिल्ली के बढ़ जाने के कारण मासिकधर्म आने के समय में परेशानी होती है। मासिकधर्म में स्राव के साथ श्लैष्मिक-झिल्ली के टुकड़े निकलते रहते हैं, योनि में से श्वेतप्रदर (योनि में से सफेद पानी आना) पानी की धार जैसा निकलता है। गर्भाशय में इस तरह के रोग के कारण अगर स्त्री को बांझपन पैदा हो जाता है अर्थात वो मां नहीं बन पाती तो उसे बोरैक्स औषधि की 6 शक्ति देना लाभकारी रहता है।
सीपिया- सीपिया औषधि स्त्रियों के बांझपन को दूर करने की एक बहुत ही शक्तिशाली औषधि मानी जाती है। स्त्री का मासिकधर्म समय पर ना आना अर्थात कभी समय से काफी बाद में और कभी समय से काफी पहले ही आ जाना, स्त्री को प्रदर (योनि में से पानी आना) तथा कब्ज का रोग हो जाता है जिसके कारण से वह कमजोर हो जाती है। गर्भधारण के लिए स्त्री का नितंब-प्रदेश का भाग जितना चौड़ा होना चाहिए वह उस स्त्री का नहीं हो पाता जिसके कारण से उसे बांझपन हो जाता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी स्त्री को सीपिया औषधि की 30 शक्ति का सेवन करने से लाभ मिलता है। 
ब्लैस्पि-बर्सा-पैस्टोरिस- ब्लैस्पि-बर्सा-पैस्टोरिस के रस की 3 बून्दों का नियमित सेवन करने से गर्भाशय के बहुत से रोग दूर होकर गर्भ ठहरने में मदद मिलती है। रोगी स्त्री को मासिकस्राव के अलावा भी गर्भाशय से खून आता रहता है। मासिकस्राव जल्दी और बहुत ज्यादा मात्रा में आता है, रोगी स्त्री को मासिकस्राव आने से पहले और बाद में प्रदरस्राव होता रहता है। रोगी स्त्री को सुबह उठते समय गर्भाशय में दर्द होता है। इस तरह के लक्षणों में रोगी स्त्री को ब्लैस्पि-बर्सा-पैस्टोरिस देना फायदेमंद होता है।
थूजा- अगर स्त्री को प्रदर-रोग के कारण बांझपन का रोग हो गया है, उसके चेहरे तथा टांगों पर बाल होना, जननांगों में से बदबूदार पसीना आना आदि लक्षण भी रोगी में है तो उसके इस समस्या को दूर करने के लिए थूजा औषधि की 30 शक्ति का सेवन करना लाभकारी रहता है।
बैराइटा-कार्ब- अगर रोगी स्त्री की डिम्ब-ग्रंथियों तथा स्तन-ग्रंथियों में सूजन आने के कारण उसे बांझपन का रोग हो जाता है तो उसे बैराइटा-कार्ब औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराना चाहिए।
नैट्रम-म्यूर- बांझ स्त्रियों अर्थात जो स्त्रियां मां नहीं बन पाती उनकी योनि सूखी रहती है। रोगी स्त्री को प्रदरस्राव तीखा, जलन पैदा करने वाला और पानी जैसा आता है। गर्भाशय अपने स्थान से हट जाता है। इस तरह के लक्षणों के साथ ही रोगी स्त्री के शरीर में खून की कमी हो जाती है तथा वह कमजोर हो जाती है, उसका चेहरे मुरझा सा रहता है, हर समय रोती रहती है, बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी हो जाती है आदि ऐसे लक्षण भी पैदा होने पर उसे नैट्रम-म्यूर औषधि की 30 शक्ति देना बहुत ही लाभकारी रहता है।

1 comment:

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