होम्योपैथी के कुछ मौलिक सिद्धान्त
होम्योपैथी के कुछ मौलिक सिद्धान्त :-
1-लक्षणों का
मिलान : स्वस्थ व्यक्ति को होम्योपैथिक दवाई देने पर जो मानसिक एवं शारीरिक लक्षण उत्पन्न होते हैं,
उन लक्षणों वाले
अस्वस्थ व्यक्ति को वही औषधि उचित शक्ति में दी जाये तो उस व्यक्ति के रोग के लक्षण दूर हो जाते हैं और रोगी
रोगमुक्त होकर स्वस्थ हो जाता है।
2-दवाईयों का
सिद्धीकरण जानवरों पर नहीं बल्कि इंसानों पर : होम्योपैथिक दवाईयों का सिद्धीकरण (परीक्षण) स्वस्थ व्यक्तियों पर किये जाते हैं, न कि मूक जानवरों (जैसे-मेढक,
चूहे, खरगोश आदि)
पर, इसलिये स्वस्थ व्यक्ति पर
होम्योपैथिक
दवाईयों के मानसिक एवं शारीरिक प्रभावों की अधिक विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध हो पाती है। जिनका मिलान करके योग्य होम्योपैथिक
चिकित्सक रोगियों को रोगमुक्त करने में सफल होते
हैं।
3-रोगी समस्त
लक्षणों की जानकारी अनिवार्य : होम्योपैथीमें रोग के नाम का
नहीं, बल्कि रोगी के मानसिक एवं शारीरिक
लक्षणों का सर्वाधिक महत्व है। इसलिये योग्य
होम्योपैथिक चिकित्सक को रोगी के समस्त
लक्षणों को जानने
में अधिक से अधिक समय खर्चना चाहिये और रोगी को भी बेझिझक अपने सभी लक्षणों को विस्तार से बतला देना चाहिये। बेशक पूछे जाने वाले लक्षणों का रोगी की राय में रोग से कोई
समम्बन्ध हो या नहीं।
4-रोग का नहीं
रोगी का इलाज किया जाता है, अत: दवाई का नाम नहीं बताया जाता : होम्योपैथी
में किसी खास रोग
की कोई खास या पेटेंट दवाई नहीं होती है,
बल्कि रोगी के सम्पूर्ण लक्षणों के आधार पर उपयुक्त दवाई का चयन
किया जाता है, जो होम्योपैथिक चिकित्सक के लिए सबसे कठिन कार्य है, क्योंकि होम्योपैथी की
रिपर्टरी (लक्षण कोष) में चक्कर आने के लिये 274, मतली के लिये 258,
पेट दर्द के लिये 186, सिरदर्द के लिये 242
दवाईयों का उल्लेख
है। इनमें से रोगी और दवाई के लक्षणों का मेल बिठाकर होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा सही दवाई का चयन किया जाता है। इसीलिये होम्योपैथी में कहा जाता है कि ‘‘हम रोग का
नहीं रोगी का इलाज करते हैं।’’ यही कारण है कि होम्योपैथिक चिकित्सक
द्वारा रोगी को दवाई का नाम नहीं बताया जाता है।
5-दवाईयों का
सेवन और रखरखाव : होम्योपैथिक दवाईयों के सेवन से पूर्व अपने मुंह और जीभ को अच्छी तरह से कुल्ला करके साफ करें और फिर होम्योपैथिक दवाईयों का
सेवन करें। होम्योपैथिक दवाईयों के
सेवन करने के कम
से 20-30 मिनट तक रोगी को कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिये। दवाईयों का खुश्बू और बदबू वाली जगह से दूर रखना चाहिये।
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