Sunday 10 November 2013

Common Cold




सर्दी-जुकाम या नजला- Common Cold
     सर्दी-जुकाम का रोग बच्चों में अधिकतर पाया जाता है। यह रोग विषाणुओं के संक्रमण के कारण होता है तथा एक रोगी से दूसरे रोगी में खांसी, छींक या सीधे संपर्क द्वारा फैलता है। संक्रमित तौलिया, रूमाल आदि का प्रयोग करने से भी यह रोग स्वस्थ बच्चों में हो सकता है।
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     इस रोग की तीव्रता को बढ़ाने में कुपोषण, अल्पायु तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी होना आदि सहायक होते हैं। इसके अलावा धूल, धुंआ तथा प्रदूषित वातावरण भी रोग की वृद्धि करने में सहायक होते हैं। प्रत्येक छोटे-बड़े बच्चे में सर्दी-जुकाम को सहन करने की एक विशेष क्षमता होती है। शारीरिक शक्ति व स्वास्थ्य के अनुसार ही कोई बच्चा सर्दी के प्रभाव को सहन कर पाता है। जब कोई बच्चा देर तक शीतल वातावरण में खेलता है तो सर्दी लग जाने से जुकाम की विकृति हो जाती है।
      ठंडी चीजें खाने वाले, कोल्ड ड्रिंक पीने वाले बच्चे भी जुकाम से अधिक पीड़ित होते देखे गए हैं। मूली, सिंघाड़ा, संतरा, अनार, गाजर, आदि खाने से भी जुकाम हो जाता है। सर्दी के मौसम में गरम जल से स्नान करके, पूरे कपड़े पहने बिना जब बच्चे शीतल वातावरण में निकल जाते हैं तो सर्दी-गर्मी के प्रभाव से जुकाम से पीड़ित हो जाते हैं।
     नवजात शिशु, मां की सर्दी से प्रभावित होते हैं। यदि कोई मां भीगे बालों से स्नान करने के तुरंत बाद शिशु को दूध पिला देती है तो शिशु सर्दी के कारण जुकाम से पीड़ित हो जाता है। स्तनपान कराने वाली मां शीतल खाद्य-पदार्थों का सेवन करे तो भी शिशु को जुकाम हो जाता है। यदि मां को जुकाम हो तो उसके नवजातशिशु को भी शीघ्र जुकाम हो जाता है।
सर्दी-जुकाम के लक्षण-
     सर्दी-जुकाम होने पर रोगी बच्चे की नाक से दूषित तरल पदार्थ बहने लगता है। जुकाम के कारण कई बार नाक बंद हो जाती है तो रोगी बच्चे को श्वास लेने में बहुत कठिनाई होती है। नाक बंद होने के कारण रोगी बच्चे रात को सो नहीं पाते। इसके अलावा सिर में दर्द भी होने लगता है।
जुकाम होने पर नाक के भीतर पपड़ी जम जाती है। जब पपड़ी को नाखूनों से अलग किया जाता है तो खून निकल आता है। नाक में बहुत दर्द होता है। नाक बंद हो जाने से तालू गला और होंठ खुश्क हो जाते हैं।   
जुकाम के साथ खांसी हो जाने पर रोगी की पीड़ा अधिक बढ़ जाती है। जुकाम से बच्चे अधिक चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसे बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पाते हैं। सर्दी में जुकाम होने से गला बैठ जाता है, ऐसे में गले से साफ आवाज भी नहीं निकल पाती।
     जुकाम होने पर बच्चे की नाक से पानी के समान तरल स्राव बहने लगता है। छींकें भी आती हैं। बड़े बच्चों को सामान्यतः बुखार नहीं होता है। छोटे बच्चों को 102 डिग्री फारेनहाइट तक बुखार भी हो सकता है। बच्चे की भूख कम हो जाती है। बच्चे की आंखों से भी पानी निकलने लगता है। संक्रमण का प्रभाव गले में होने पर बच्चे की आवाज बैठ जाती है या कर्कश हो जाती है। उसके गले में दर्द होता है तथा खांसी आती है। बच्चा खाना खाना पंसद नहीं करता है। मुंह से सांस लेता है। बच्चा सुस्त एवं बीमार सा दिखता है। नाक की श्लेष्मिक कला सूजी हुई होती है।
आमतौर पर सर्दी-जुकाम के साथ बच्चे का पेट भी खराब हो जाता है, जिससे उसे दस्त और उल्टियां भी होती हैं।
चिकित्सा-
     इस रोग की कोई विशेष चिकित्सा नहीं है। इसलिए केवल लक्षणों के आधार पर इस रोग की चिकित्सा की जाती है। सामान्यतः यह रोग एक सप्ताह में स्वयं ही ठीक हो जाता है।
     बच्चे को सामान्य रूप से आहार दें। दूध और पानी समय-समय पर उचित मात्रा में देते रहें, जिससे बच्चे में पानी की कमी न हो।
     बच्चे के सिर वाले भाग को पैरों की अपेक्षा ऊंचा रखें या सिर की तरफ से पंलग को थोड़ा सा ऊंचा करके रखें। साफ कपड़े या रुई से नाक को साफ करें। नाक में 9 प्रतिशत सोडियम क्लोराइड तथा पानी में विलियन (solution) की बूंद डालनी चाहिए। शिशुओं को पेट के बल लिटाकर रखना चाहिए, जिससे उनकी नाक से होने वाले स्राव आसानी से बाहर निकल जाए। नाक के बंद हो जाने पर भाप सुंघाने से लाभ होता है तथा नाक और छाती पर लिनीमैन्ट (liniment) (मैन्थोल तथा यूकेलिप्टस के तेल से बनी हुई दवा जो त्वचा पर मालिश करने या पट्टी पर लगाकर बांधने के काम आती है) जैसे- विक्स या बाम लगाने से बच्चे की बंद नाक खुल जाती है। सिर को गर्म कपड़े से ढ़ककर रखना चाहिए (विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में)।
     सर्दी के मौसम में बच्चे जुकाम से अधिक पीड़ित होते हैं। वैसे जुकाम की विकृति किसी भी मौसम में हो सकती है। मौसम परिवर्तन के समय बच्चों की अधिक देखभाल करनी चाहिए।
सर्दी-जुकाम की घरेलू चिकित्सा-
  • अदरक, काली मिर्च और मिश्री को जल में उबालकर छानकर पीने से जुकाम पलक झपकते ही नष्ट होता है। दिन में दो-तीन बार सेवन कर सकते हैं। 
  •  पीपर, पीपरामूल, काली मिर्च और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर, कूट-पीसकर खूब बारीक चूर्ण बनाकर रखें। दिन में दो-तीन बार 1-1 ग्राम चूर्ण शहद के साथ मिलाकर बच्चे को चटाने से जुकाम नष्ट होता है।
  • गर्म राख में नींबू को दबाकर रखें। 15-20 मिनट बाद उस नीबू को साफ करके, काटकर रस निकालकर पिलाने से जुकाम नष्ट होता है। बच्चे को 3 से 5 ग्राम रस ही पिलाएं।
  • दालचीनी, छोटी इलायची और सोंठ को बराबर मात्रा में कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रखें। दिन में 1-1 ग्राम चूर्ण चाय के साथ सेवन करने से जुकाम नष्ट होता है।  
  • किसी स्वच्छ कपड़े में लौंग के तेल की दो-तीन बूंदें छिड़ककर, उसको सूंघने से बंद नाक तुरंत खुल जाती है। जुकाम के कारण उत्पन्न सिर दर्द भी नष्ट होता है।
  •  दूध में थोड़ी-सी हल्दी का चूर्ण मिलाकर बच्चे को दिन में दो बार पिलाने से जुकाम का प्रकोप नष्ट होता है।
  • अदरक, शहद व तुलसी के पत्ते से बनी चाय सर्दी-जुकाम में लाभदायक होती है। गर्म पानी में नमक मिलाकर गरारा करने से भी लाभ होता है।
  •  बच्चे को गर्म दूध, चाय, काफी, सूप आदि देने चाहिए। यह गले में आराम पहुंचाते हैं तथा स्राव को पतला करने में सहायक होते हैं।
  • गले को खराब करने वाले पदार्थ, जैसे- ठंडा पेय, तली हुई चीजें, मिर्च मसाले युक्त भोजन, नींबू आदि नहीं देने चाहिए। 
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